श्री गोपाल आरती (Shri Gopal Aarti)

आरती जुगल किशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरखि मेरा मन लोभा।

आरती जुगल किशोर की कीजै…

गौर श्याम मुख निरखत रीझै, प्रभु को स्वरुप नयन भर पीजै।

कंचन थार कपूर की बाती, हरि आये निर्मल भई छाती।

आरती जुगल किशोर की कीजै…

फूलन की सेज फूलन की माला, रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला।

मोर मुकुट कर मुरली सोहै, नटवर वेष देखि मन मोहै।

आरती जुगल किशोर की कीजै…

आधा नील पीत पटसारी, कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी।

श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी, आरती करें सकल ब्रजनारी।

आरती जुगल किशोर की कीजै…

नन्द लाला वृषभानु किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।

आरती जुगल किशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै।

आरती जुगल किशोर की कीजै…