
श्री शैलपुत्री चालीसा ( Shri Shailputri Chalisa )
॥ दोहा ॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
विघ्न हरण मंगल मूरति, जय जय गिरिजा लाल॥
॥ चौपाई Shi॥
जय गिरिराजकुमारि गत जननी ।
सकल सृष्टि पालक भवानी भवानी ॥
जय शैलपुत्री माता महिमा अपार ।
जो कोई तुमको ध्यावत भव भव पार ॥
चंद्रार्ध मस्तक विराजत सुभ गंगा ।
तुमहि देखि हरषत हिय शिव संगा ॥
वाहन वृषभ राजत छवि निराली ।
सोहत रूप मातु शिव की ललाली ॥
कहत अष्टमां महिमा अमृत वाणी ।
महिमा अपरम्पार विधि न जानी ॥
कली कालक पाप हटावनि हरता ।
संतन प्रभु प्रीति प्रभु भवानी करता ॥
जो कोई तुहि ध्यावत रुधि रासि भवानी ।
सकल सृष्टि पालक दुर्गा भवानी ॥
गौरी शंकर संग विराजति सुहावनि ।
मंगल कारण काली माई कहलावनि ॥
ध्यान धरत जो कोई नर भवानी ।
सकल सृष्टि में होत सुबानी ॥
श्री शैलपुत्री चालीसा का पाठ ।
करत ध्यान जस आपनि दास ॥
विनय राम दास मनु प्रीतम भवानी ।
तासु ध्यान से सकल सृष्टि भवानी ॥